गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद_गरियाबंद जिले के गोहरापदर छैलडोंगरी में कुंआर पक्ष लगने से पहले वाले मंगलवार को मनाया जाने वाला पारंपरिक देव दशहरा पर्व इस वर्ष भी बड़े धूमधाम से संपन्न हुआ।
माता काली की पूजा-अर्चना_
श्रद्धालुओं ने माता काली की पूजा-अर्चना कर मनोकामना मांगी। मान्यता है कि माता के दरबार में मांगी गई इच्छा पूरी होती है। इस बार दूर-दराज़ से आए 10 से 14 हजार श्रद्धालुओं ने पर्व में हिस्सा लिया।
बलि और परंपरा_
परंपरा के अनुसार देवी को प्रसन्न करने के लिए बलि दी जाती है। खास बात यह है कि इस पूजा और दशहरा स्थल पर महिलाओं का प्रवेश वर्जित है।
परंपरा की कहानी_
करीब तीन पीढ़ी पहले सात पाली के गांवों में लगातार बहू-बेटियों के बीमार पड़ने और मृत्यु की घटनाओं से गांव दहशत में था। बुजुर्गों की पड़ताल में पता चला कि मा काली (पलना गोसीएन स्वरूप) को छोड़ा गया था। तब से अखरा कुंभ तिथि (कुंआर से पहले मंगलवार) को माता की विशेष पूजा की परंपरा शुरू हुई।
बाइट्स
भीमाधर सोम, मंदिर पुजारी
“माता काली की पूजा करने से हर मनोकामना पूरी होती है। यही कारण है कि श्रद्धालुओं की भीड़ हर साल बढ़ती जा रही है।”
स्थानीय ग्रामीण
“हमने बचपन से इस परंपरा को देखा है। माता के दरबार में आकर सच्चे मन से पूजा करने पर हर संकट दूर हो जाता








