गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डिस्क गरियाबंद
देवभोग_प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) की धीमी प्रगति और निर्माण कार्यों में घोर लापरवाही को लेकर प्रशासन अब पूरी तरह सख्त हो गया है। देवभोग जनपद में सोमवार को हुई एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में एसडीएम तुलसीदास मरकाम ने जनपद क्षेत्र के सभी पंचायत सचिवों और रोजगार सहायकों को तलब किया। इस दौरान उन्होंने आवास निर्माण कार्यों की विस्तृत समीक्षा की और संबंधित अधिकारियों-कर्मचारियों को तीखा फटकार लगाई।
बैठक के दौरान एसडीएम मरकाम ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि “पीएम आवास योजना आम जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने वाली योजना है। इसे लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। आवासों को जल्द से जल्द पूर्ण करें, अन्यथा निलंबन और विभागीय कार्रवाई तय है।”
निर्माण कार्यों की प्रगति पर उठाए गंभीर सवाल_
बैठक में जब विभिन्न पंचायतों के सचिवों और रोजगार सहायकों से आवासों की प्रगति की जानकारी मांगी गई, तो अधिकांश कर्मचारी संतोषजनक जवाब नहीं दे सके। कई पंचायतों में आवास निर्माण महीनों से अधूरा पड़ा है, जबकि राशि पहले ही स्वीकृत हो चुकी है। इस पर नाराज़गी जताते हुए एसडीएम ने सवाल उठाया कि “जब बजट और मजदूर दोनों उपलब्ध हैं, तो फिर आवास अधूरे क्यों पड़े हैं? क्या सरकार की योजना केवल फाइलों तक सीमित रह गई है?”
इस समीक्षा बैठक के बाद कुल 22 पंचायत सचिवों और 19 रोजगार सहायकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। नोटिस में उनसे यह पूछा गया है कि वे अब तक अधूरे पड़े आवासों को पूर्ण क्यों नहीं करा पाए। इसके लिए उन्हें तीन कार्यदिवस के भीतर जवाब देने को कहा गया है, अन्यथा सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।
पीएम आवास योजना में लापरवाही की गंभीर तस्वीर
देवभोग जनपद अंतर्गत कई पंचायतों में लाभार्थियों को योजना की राशि तो मिली है, लेकिन निर्माण कार्य अधूरे पड़े हैं। कहीं प्लिंथ तक कार्य हो पाया है, तो कहीं छत डालने के बाद महीनों से निर्माण बंद पड़ा है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि कई स्थानों पर मजदूरी भुगतान और मटेरियल की आपूर्ति में सचिव और रोजगार सहायक टालमटोल कर रहे हैं, जिससे गरीब परिवार खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
एसडीएम श्री मरकाम ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि “योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे, यह सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। गरीबों के हक में रोड़ा बनने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। अब सिर्फ कागजों में नहीं, जमीनी सच्चाई में बदलाव चाहिए।”
दी गई सख्त चेतावनी – 15 दिनों में प्रगति नहीं तो निलंबन तय
बैठक में अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया कि अगले 15 दिनों में प्रत्येक अधूरे आवास की फोटो, लाभार्थी का विवरण और निर्माण की स्थिति जनपद कार्यालय में प्रस्तुत करें। यदि इसमें ठोस प्रगति नहीं दिखाई देती, तो संबंधित सचिव और रोजगार सहायकों को तत्काल निलंबित करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
एसडीएम ने चेतावनी दी कि “अब बहाने नहीं चलेंगे। जिस पंचायत में प्रगति नहीं होगी, वहां के जिम्मेदार कर्मचारी को व्यक्तिगत रूप से जवाब देना होगा।” उन्होंने जनपद सीईओ और ब्लॉक कोऑर्डिनेटरों को भी निर्देशित किया कि वे हर सप्ताह फील्ड में जाकर निरीक्षण करें और रिपोर्ट सौंपें।
आम जनता ने सराहा सख्त कदम
एसडीएम श्री मरकाम के इस निर्णय की सराहना आम जनता और जागरूक ग्रामीणों ने की है। ग्रामीणों का कहना है कि लंबे समय से अधिकारी आवास योजना को लेकर ढिलाई बरत रहे थे, जिससे पात्र लोगों को समय पर छत नसीब नहीं हो पा रही थी। प्रशासन की यह सख्ती अब काम में तेजी लाएगी और गरीबों को राहत मिलेगी।
क्या है पीएम आवास योजना (ग्रामीण)
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका उद्देश्य 2024 तक सभी बेघर और कच्चे मकानों में रहने वाले ग्रामीण गरीबों को पक्के घर उपलब्ध कराना है। इस योजना में लाभार्थियों को ₹1.20 लाख (मैदानी क्षेत्रों में) और ₹1.30 लाख (पर्वतीय/दुर्गम क्षेत्रों में) तक की सहायता राशि मिलती है।
सरकार का स्पष्ट उद्देश्य है कि हर गरीब को उसका घर मिले और वह गरिमा के साथ जीवन जी सके। लेकिन जमीनी स्तर पर कर्मचारियों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के कारण यह लक्ष्य प्रभावित होता रहा है।
एसडीएम तुलसीदास मरकाम द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित ही जनहित में है। प्रशासनिक सख्ती से यह संदेश साफ गया है कि योजनाओं में लापरवाही अब नहीं चलेगी। आने वाले समय में यदि यह रुख जारी रहा तो देवभोग जनपद पीएम आवास योजना के क्रियान्वयन में एक मॉडल बन सकता है।








