गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क गरियाबंद
गरियाबंद_नक्सल मोर्चे पर गरियाबंद पुलिस को एक और बड़ी कामयाबी हाथ लगी है। पुलिस की प्रभावी “पूना मोद्दोल (नया सवेरा) पुनर्वास नीति” से प्रभावित होकर संगठन के दो सबसे खतरनाक इनामी नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों पर 5-5 लाख रुपये का इनाम घोषित था और वे नक्सल संगठन में एरिया कमेटी मेंबर (ACM) के पद पर सक्रिय थे।
पूना मोद्दोल नीति के आगे झुके इनामी नक्सलीआत्मसमर्पण करने वालों में एक पुरुष और एक महिला नक्सली शामिल हैं। दोनों ने आज गरियाबंद के उप पुलिस अधीक्षक के समक्ष आत्मसमर्पण किया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, ये नक्सली लंबे समय से जंगलों में सक्रिय थे, लेकिन सरकार और पुलिस की भरोसे पर आधारित पुनर्वास नीति ने उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए प्रेरित किया।
नक्सल मोर्चे पर ऐतिहासिक सफलता
इस आत्मसमर्पण के साथ ही नक्सल विरोधी अभियान ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है—गरियाबंद जिला: वर्ष 2025 में अब तक 20 नक्सली कर चुके हैं सरेंडर
अन्य नक्सल प्रभावित जिले: 12 नक्सलियों ने छोड़ा हिंसा का रास्ता
पूरे छत्तीसगढ़ में कुल: 32 नक्सली वर्ष 2025 में अब तक आत्मसमर्पण कर चुके हैं
यह आंकड़ा राज्य में नक्सल नेटवर्क के कमजोर पड़ने का स्पष्ट संकेत देता है।
हिंसा नहीं, विश्वास की नीति—पूना मोद्दोल
गरियाबंद पुलिस की पूना मोद्दोल नीति का मूल उद्देश्य हथियार नहीं, बल्कि भरोसा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों कोसुरक्षा,सम्मानजनक जीवन,सरकारी योजनाओं का लाभ, और समाज की मुख्यधारा से जुड़ने का अवसर दिया जाता है। इसी नीति के चलते नक्सल संगठन के भीतर असंतोष बढ़ रहा है और लगातार सदस्य हिंसा छोड़ने का निर्णय ले रहे हैं।
एसपी का संदेश—मुख्यधारा में लौटें भटके युवा
पुलिस अधीक्षक ने कहा कि लगातार बढ़ते आत्मसमर्पण यह साबित करते हैं कि नक्सल मोर्चे पर पुलिस की रणनीति पूरी तरह सफल हो रही है और नक्सल संगठन की कमर टूट रही है। उन्होंने जंगलों में भटके अन्य युवाओं से भी अपील की कि वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में लौटें और सम्मानजनक जीवन की शुरुआत करें।











