गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क गरियाबंद
देवभोग_ देवभोग जनपद पंचायत के समीप कोर्ट के बीचों-बीच मौत बनकर झूल रही एक पेड़ की भारी-भरकम टहनी प्रशासन की लापरवाही का मुँह चिढ़ा रही है। हैरानी की बात यह है कि इस पेड़ के नीचे कोर्ट जैसी संवेदनशील जगह लगती है, जहां रोज़ाना दर्जनों वकील, कर्मचारी और आम लोग आते-जाते हैं। फिर भी वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी इस खतरे को नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, कोर्ट परिसर में लगे पुराने पेड़ की एक मोटी और कच्ची टहनी कभी भी टूटकर गिर सकती है, जिससे किसी की जान भी जा सकती है। इस गंभीर खतरे की जानकारी लिखित और मौखिक रूप से वन विभाग को कई बार दी जा चुकी है, यहां तक कि कोर्ट के माध्यम से भी इस बारे में सूचित किया गया, लेकिन विभाग के अफसरों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी।
लोगों का आरोप है कि वन विभाग के अधिकारी तब तक हरकत में नहीं आते, जब तक कोई बड़ा हादसा न हो जाए। “क्यों इंतजार किया जा रहा है कि पहले किसी की जान जाए, तब कार्रवाई हो?” – एक स्थानीय नागरिक ने नाराज़गी जताते हुए कहा।
बड़ा सवाल यह है कि—
* कोर्ट परिसर जैसे संवेदनशील इलाके में भी सुरक्षा इंतज़ामों की इतनी अनदेखी क्यों?
* क्या वन विभाग की जिम्मेदारी सिर्फ कागज़ी कार्यवाही तक सीमित है?
* जब की मौखिक ओर लिखित शिकायत दर्ज हो चुकी हैं, तो अब तक कार्रवाई में देरी क्यों?
कभी भी हो सकता है हादसा
तेज़ हवा या बारिश के दौरान यह कच्ची टहनी अचानक टूटकर गिर सकती है। चूंकि इसके नीचे रोज़ लोग खड़े रहते हैं और वाहन खड़े होते हैं, इसलिए किसी भी पल बड़ा हादसा हो सकता है। अगर समय रहते विभाग ने सज्ञान नहीं लिया, तो यह लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है।
स्थानीयों की मांग
लोगों ने मांग की है कि कोर्ट परिसर में लगे इस खतरनाक पेड़ की टहनी को तुरंत काटा जाए और आसपास के सभी पुराने पेड़ों की भी सुरक्षा जांच की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे हादसों से बचा जा सके।








