मैनपुर_ कभी शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े और ड्रॉपआउट बच्चों, नशाखोरी के शिकार किशोरों और निराश अभिभावकों वाला आदिवासी ग्राम गोना आज एक नई मिसाल बनकर सामने आया है। यहां से उठी ‘शिक्षा हमर अंगना’ पहल ने न केवल गांव के बच्चों को स्कूल की ओर मोड़ा है, बल्कि पूरे इलाके में शिक्षा के प्रति नई चेतना जगा दी है।
प्राथमिक शाला गोना में अब आसपास के चार गांवों के बच्चे आ रहे हैं। मोहल्लों में पढ़ाई की पहल के रूप में शुरू हुई ‘मोहल्ला क्लास’ योजना आज पांच मोहल्लों तक पहुंच चुकी है। नशाखोरी और पढ़ाई छोड़ने की प्रवृत्ति से जूझ रहे बच्चों की आंखों में अब किताबों और भविष्य के सपने लौट आए हैं।
स्थानीय युवाओं का कंधा से कंधा मिलाकर साथ
इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत रहे हैं ग्राम के शिक्षित युवा-युवतियां, जिन्हें जागरूक कर इस मुहिम से जोड़ा गया। हर मोहल्ले में स्वयंसेवक बच्चों को पढ़ा रहे हैं, उनका होमवर्क देख रहे हैं और उन्हें नियमित स्कूल भेजने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
SMC अध्यक्ष और ग्रामीण नेतृत्व की अहम भूमिका
इस बदलाव की बुनियाद रखी SMC अध्यक्ष सुधीर मरकाम और गोपाल मरकाम ने। शिक्षा के महत्व पर चर्चा के बाद, दोनों ने खुद गांव-गांव जाकर सभा की, अभिभावकों को जोड़ा और बच्चों को मोहल्ला क्लास से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
शिक्षकों का संकल्प, बच्चों का भविष्य
प्रधान पाठक सिंह नागेश और सहायक शिक्षक आलोक कुमार शर्मा की मेहनत और नवाचार इस अभियान की रीढ़ साबित हुए हैं। उनका मानना है— “गोना में यह सिर्फ एक शिक्षा अभियान नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ी को अंधेरे से उजाले में लाने का आंदोलन है।”
एक जिले के लिए प्रेरणादायक कदम
गोना की यह पहल अब मैनपुर विकासखंड के अन्य गांवों के लिए प्रेरणा बन रही है। यहां की मोहल्ला क्लास और ‘शिक्षा हमर अंगना’ मॉडल को अन्य ग्रामीण इलाकों में भी अपनाने की तैयारी हो रही है।








