मदर्स डे विशेष: संघर्ष की मिसाल बनीं अमलीपदर की सावित्री नेताम,प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित सावित्री एक झुग्गी-झोपड़ी में रहकर अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रही हैं।

मदर्स डे विशेष: संघर्ष की मिसाल बनीं अमलीपदर की सावित्री नेताम 

गजानंद कश्यप गरियाबंद मदर्स डे के अवसर पर हम आपको मिलवा रहे हैं अमलीपदर की सावित्री नेताम से, जो विपरीत परिस्थितियों के बावजूद न सिर्फ अपने परिवार को संभाल रही हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं। सावित्री ने अपने पति और बेटे को खोने के बाद हार नहीं मानी। उन्होंने अपनी साइकिल को ही सहारा बनाया और उस पर मसाले, धनिया, मिर्चा, चूड़ी, टिकली और बांस के बर्तन रखकर घर-घर जाकर बेचने का काम शुरू किया।

सावित्री नेताम उड़ीसा तक जाकर अपने सामान को बेचती हैं। हर बाजार के दिन वह बाजार-बाजार घूमकर अपनी रोजी-रोटी कमा रही हैं। उनका एक बेटा दूसरे राज्य में काम करता है। सावित्री अपनी कमाई से न सिर्फ घर चलाती हैं, बल्कि बेटे को भी आर्थिक मदद भेजती हैं।

सावित्री के साथ उनकी ननंद भी रहती हैं, जिसकी जिम्मेदारी भी उन्होंने अपने कंधों पर उठा रखी है। प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभ से वंचित सावित्री एक झुग्गी-झोपड़ी में रहकर अपनी जिंदगी की गाड़ी खींच रही हैं। क्षेत्रवासी उन्हें एक संघर्षशील महिला के रूप में जानते हैं।

यह कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो विपरीत परिस्थितियों में भी हार मानने के बजाय अपने हौसले और मेहनत से अपनी जिंदगी को संवार रही हैं। मदर्स डे के इस मौके पर हम सलाम करते हैं ऐसी सभी मांओं को, जो दिन-रात मेहनत कर अपने बच्चों को एक बेहतर भविष्य देने के लिए संघर्षरत हैं।


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