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बरकानी पंचायत में भ्रष्टाचार का साम्राज्य, विकास कार्य सिर्फ कागजों पर पूरे

✍️ गजानंद कश्यप, छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क, गरियाबंद

देवभोग (गरियाबंद)। देवभोग ब्लॉक के बरकानी पंचायत में इन दिनों भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। ग्राम सरकार ने 15वें वित्त और मनरेगा जैसे ग्राम विकास मदों में भारी गड़बड़ी की है। 15वें वित्त से गौठान पहुँच मार्ग में 77 ट्रिप मुरमीकरण का कार्य दिखाया गया है, लेकिन हकीकत यह है कि जमीन पर एक इंच भी काम नजर नहीं आता। मनरेगा के तहत कराए जाने वाले सोख्ता गड्ढा और पचरी निर्माण कार्य भी कागजों तक सीमित रह गए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन योजनाओं में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हुई है, लेकिन स्थानीय प्रशासन की उदासीनता और निगरानी के अभाव में भ्रष्टाचारियों के हौसले बुलंद हैं।

जनपद के मनरेगा बिल में गड़बड़ी – जांच का विषय_

1. फर्नीचर खरीदी का बिल

15वें वित्त और मनरेगा कार्यों में ओम इलेक्ट्रिकल्स से लिया गया बिल।

बिल में स्पष्ट छेड़छाड़/ओवरराइटिंग पाई गई।

2. मनरेगा डबरी पचरी निर्माण

दस्तावेजों में एजेंसी ग्राम पंचायत भतराबहली दर्ज।

मगर बिल पर बरकानी पंचायत के सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर पाए गए।

3. मुख्य सवाल

आखिर एजेंसी और हस्ताक्षर अलग-अलग क्यों?

बिल में छेड़छाड़ किसके इशारे पर हुई?

पारदर्शिता पर बड़ा सवाल।

संदिग्ध बिल-वाउचर से खुले राज_

बरकानी पंचायत में भ्रष्टाचार की जड़ इतनी गहरी है कि चालू वित्तीय वर्ष में कराए गए लगभग सभी कार्यों में संदिग्ध बिल-वाउचर लगाए गए। जांच में सामने आया कि जिन फर्मों के नाम पर बिल लगाए गए हैं, न तो उनका कोई अस्तित्व है और न ही उनके पास सामग्री उपलब्ध थी। इसके बावजूद कागजों में भुगतान दिखाकर लाखों रुपये निकाले गए।

सीसी सड़क पर हुआ खेल_

सीसी सड़क पर मुरमीकरण कार्य भी भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयान कर रहा है। पंचायत सरकार ने यहां मुरमीकरण दिखाया, लेकिन वास्तव में कहीं भी काम नजर नहीं आता। सचिव का गृहग्राम होने और सरपंच का प्रभाव इतना है कि गांव के लोग भी भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने से डरते हैं।

बिना सूचना पट्ट लिखे कार्य भी सवालों के घेरे में_

ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि पंचायत द्वारा कराए गए कई कार्यों में सूचना पट्ट तक नहीं लगाए गए, जिससे पारदर्शिता पूरी तरह गायब है। सरकारी नियम के मुताबिक हर कार्यस्थल पर लागत, योजना और स्वीकृति का ब्यौरा सूचना पट्ट में अंकित होना अनिवार्य है, लेकिन बरकानी पंचायत में इसे भी नजरअंदाज किया गया। यही कारण है कि संदेह और गहराता जा रहा है कि आखिर किन योजनाओं पर कितनी राशि खर्च हुई।

जर्जर भवन में पंचायत संचालन_

बरकानी पंचायत का संचालन आज भी 25 साल पुराने जर्जर भवन से किया जा रहा है। पंचायत ने बिजली फिटिंग और फर्नीचर के नाम पर हजारों रुपये खर्च दिखाए हैं, लेकिन इनका कोई व्यावहारिक उपयोग ग्रामीणों को नहीं मिल रहा। दूसरी ओर सरपंच पवन यादव भ्रष्टाचार न होने के दावे कर रहे हैं, लेकिन जमीन पर हालात इन दावों को झुठलाते हैं।

ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन मौन_

ग्रामीणों का आरोप है कि सरपंच–सचिव की मिलीभगत से पंचायत की योजनाओं में बड़े पैमाने पर हेराफेरी हो रही है। काम कागजों में पूरे दिखाए जा रहे हैं जबकि हकीकत में गांववाले बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। सवाल यह है कि आखिर स्थानीय प्रशासन कब तक चुप रहेगा और इस मामले पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।

सीईओ का बयान – शिकायत आने पर होगी कार्रवाई_

बरकानी पंचायत से जुड़े मामलों पर सीईओ भगत ने कहा कि अभी तक इस संबंध में कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। यदि शिकायत आती है तो इसकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

वहीं पंचायत सचिव के अपने गृहग्राम में पदस्थ होने के मामले पर सीईओ का कहना है कि इस पर निर्णय जिला पंचायत स्तर से लिया जाता है, फिर भी यहाँ से स्थानांतरण का प्रस्ताव भेजा जाएगा।

अब देखना होगा कि बरकानी पंचायत में फैले इस बड़े भ्रष्टाचार पर जिला प्रशासन कब संज्ञान लेता है और जिम्मेदारों पर क्या कार्रवाई करता है।