गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क गरियाबंद
मंदागमुड़ा-:आदिवासी समाज की गौरवशाली परंपरा और गोंड़ी संस्कृति का प्रतीक ईश्वर राजा–गौरा माता विवाह महोत्सव 19 अक्टूबर को बड़े ही धूमधाम और श्रद्धा के साथ बड़ा देव शक्तिपीठ, मंदागमुड़ा में संपन्न हुआ।
हजारों श्रद्धालुओं ने लिया पुण्य लाभ_
इस भव्य आयोजन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु, महिला–पुरुष, युवा–युवतियाँ तथा आदिवासी सगा समाज के प्रमुख जन उपस्थित रहे। पूरा क्षेत्र भक्तिमय वातावरण में डूबा रहा। लोगों ने श्रद्धा और उत्साह के साथ इस पवित्र विवाह समारोह में भाग लिया।
पारंपरिक गोंड़ी रीति–रिवाजों के अनुसार हुआ विवाह_
हर वर्ष की तरह इस बार भी विवाह समारोह पारंपरिक गोंड़ी संस्कृति, परंपराओं और धार्मिक रीति–रिवाजों के अनुरूप सम्पन्न कराया गया। ईश्वर राजा की भव्य बारात गुदुम बाजा और लोकनृत्य–गीतों की गूंज के बीच निकाली गई। युवाओं और युवतियों ने पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होकर इस ऐतिहासिक विवाह को जीवंत बना दिया।
गौरा माता के गृह आगमन पर उत्साह का माहौल
ईश्वर राजा की बारात जब गौरा माता के घर पहुँची, तब ग्रामवासी व श्रद्धालु झूम उठे। गोंडी परंपरा के अनुसार विधिवत वैवाहिक रस्में पूरी की गईं। पूरे क्षेत्र में मंगल गीतों और ढोल–मांदर की थाप से उत्सव का रंग और गहराया।
संस्कृति संरक्षण का संदेश_
इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समाज की प्राचीन संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिक मूल्यों को जीवंत बनाए रखना और इन्हें आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाना है। यह विवाह महोत्सव गोंडी संस्कृति की एकता, आस्था और पहचान का प्रतीक बन चुका है।
आयोजन समिति का योगदान_
कार्यक्रम का सफल आयोजन गोंड़ी धर्म संस्कृति संरक्षण समिति, गोंडवाना संघ तथा युवा–युवती प्रभाग, जिला गरियाबंद (छ.ग.) के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। सभी कार्यकर्ताओं ने आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यह आयोजन न केवल एक धार्मिक पर्व था, बल्कि समाज की एकता, श्रद्धा और परंपरा के संरक्षण का सशक्त प्रतीक बन गया।










