गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क गरियाबंद
देवभोग_सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवभोग में इन दिनों लैब टेक्नीशियन की कमी गंभीर समस्या का रूप ले चुकी है। अस्पताल आने वाले मरीजों को खून की जाँच (Blood Test) रिपोर्ट समय पर नहीं मिल पा रही, जिससे इलाज में देरी हो रही है और कई बार मरीजों को निजी पैथोलॉजी में जाँच करवाने मजबूर होना पड़ता है।
ब्लड टेस्ट रिपोर्टिंग में भारी विलंब
अस्पताल में जाँच के लिए प्रतिदिन दर्जनों मरीज पहुँचते हैं,लैब टेक्नीशियन की कमी के कारण रिपोर्टिंग कार्य बाधित रहता है। कई बार एक या दो व्यक्ति को एक से अधिक कार्य संभालने पड़ते हैं, जिससे ब्लड टेस्ट, शुगर, हीमोग्लोबिन, मलेरिया, टायफाइड, यूरिन जैसी सामान्य जांचें भी समय पर नहीं हो पातीं।
मरीजों को निजी लैब का सहारा
सरकारी अस्पताल में जांच सुविधा न मिलने से गरीब और ग्रामीण मरीजों को नजदीकी कस्बों की निजी लैब में जाकर महंगी दरों पर टेस्ट करवाना पड़ रहा है। इससे आर्थिक बोझ भी बढ़ रहा है। मरीजों का कहना है कि “सरकारी अस्पताल में सुविधा के लिए आते हैं, पर यहाँ रिपोर्ट के लिए दिनों तक इंतजार करना पड़ता है।”
स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित
लैब रिपोर्ट समय पर न मिलने से डॉक्टरों को भी इलाज में कठिनाई आती है। कई गंभीर मरीजों के केस में ब्लड रिपोर्ट आवश्यक होती है, पर समय पर न मिलने से उपचार में विलंब होता है। खासकर गर्भवती महिलाओं, डायबिटीज, और एनीमिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों पर इसका सीधा असर पड़ रहा है।
प्रशासनिक अनदेखी या पद रिक्तता?
सूत्रों के अनुसार, लंबे समय से देवभोग स्वास्थ्य केंद्र में लैब टेक्नीशियन का पद रिक्त है। विभाग को कई बार अवगत कराया गया, लेकिन अब तक नियुक्ति नहीं हो सकी। अस्थायी व्यवस्था से काम तो चल रहा है, पर यह पर्याप्त नहीं है।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों की माँग
ग्रामीणों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने स्वास्थ्य विभाग से जल्द से जल्द लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति की माँग की है। उनका कहना है कि यह समस्या वर्षों से बनी हुई है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।
जनहित में प्रश्न उठता है — आखिर देवभोग जैसे सीमावर्ती क्षेत्र में कब मिलेगी पूर्ण चिकित्सा सुविधा? क्या स्वास्थ्य विभाग अब भी सो रहा है?










