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सीमा पर खुला खेल — देवभोग में उड़ीसा का धान धड़ल्ले से पार, जिम्मेदार मौन!

गजानंद कश्यप छत्तीसगढ़ न्यूज डेस्क गरियाबंद 

देवभोग_धान खरीदी की प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही देवभोग क्षेत्र में उड़ीसा से धान की अवैध आमद बेकाबू होती जा रही है। सीमा चौकियों की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के कारण रोज़ाना ट्रैक्टर, पिकअप और भारी वाहन उड़ीसा का धान लेकर छत्तीसगढ़ में दाखिल हो रहे हैं। ये अवैध खेप स्थानीय गोदामों में खुलेआम पहुँचाई जा रही है, जबकि जिम्मेदार विभाग खामोश हैं।

सूत्रों के मुताबिक सीनापाली, खुटगांव और आसपास के चेकपोस्टों से प्रतिदिन कई वाहन बिना जांच-पड़ताल के गुजर रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह धान स्थानीय दलालों और कारोबारियों के माध्यम से गोदामों में जमा किया जा रहा है, ताकि सरकारी खरीदी शुरू होते ही इसे स्थानीय किसानों के नाम पर बेचा जा सके।

किसानों का हक़ छिन रहा

जानकारों का कहना है कि यह अवैध गतिविधि न केवल शासन की खरीदी व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है, बल्कि देवभोग के असली किसानों के हक़ पर भी सीधा प्रहार है। बाहरी धान की आमद से स्थानीय किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

लगातार खबरें सामने आने के बावजूद प्रशासन और खाद्य विभाग अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठा पाए हैं। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते सख्ती नहीं की गई, तो खरीदी सीजन शुरू होते ही यह तस्करी और भी तेज़ हो जाएगी।

ज़रूरत सख्त निगरानी की

अंतरराज्यीय धान तस्करी पर रोक लगाने के लिए सीमावर्ती पोस्टों पर 24 घंटे निगरानी, वाहनों की सघन चेकिंग और गोदामों की जांच बेहद जरूरी है। शासन को यह तय करना होगा कि वह किसानों के हित में कार्रवाई करेगा या फिर रसूखदारों के दबाव में चुप रहेगा।

शासन-प्रशासन की भूमिका पर सवाल

आम नागरिकों का कहना है — "जब मीडिया बार-बार इस धान तस्करी की खबरें उजागर कर रही है, तो फिर शासन-प्रशासन क्यों नहीं सक्रिय हो रहा?"

लोगों की यह भी मांग है कि धान तस्करी में लिप्त दलालों, परिवहनकर्ताओं और अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए ताकि इस खेल पर सख्त रोक लग सके।

देवभोग क्षेत्र के लोग अब प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं 

क्या इस बार धान तस्करी पर लगाम लगेगी या फिर उड़ीसा का धान एक बार फिर स्थानीय किसानों का हक़ निगल जाएगा?