जिले के किसान बीज एवं रासायनिक उर्वरकों का करें अग्रिम उठाव पर्याप्त मात्रा में किया जा रहा भण्डारण
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फाइल फोटो |
गजानंद कश्यप गरियाबंद
गरियाबंद_ जिले में आगामी खरीफ की तैयारी जोरो पर है। कृषकगण खेतों की जोताई कर बीज खाद की व्यवस्था में लग गये है। सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर कृषि ऋण, बीज एवं उर्वरकों का वितरण प्रारम्भ हो चुका है। 06 मई 2025 की स्थिति में जिले के डॅबल लॉक एवं सहकारी समितियों में यूरिया 5913, सुपर फास्फेट 2252, डी.ए.पी. 1181, पोटाश 770 तथा एन.पी.के. 1183 मिट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध है। भारत सरकार द्वारा यूरिया 266.50, एस.एस.पी. पाउडर 469.00, एस.एस.पी. दानेदार 510.00, डी.ए.पी. 1350.00, एन.पी.के. 1470.00 एवं पोटाश 1500.00 रूपये प्रति बैग निर्धारित किया गया है। खरीफ मौसम के निकट आते ही एक साथ खाद की मांग बढ़ जाने के कारण उर्वरक की आपूर्ति प्रभावित होती है। वर्तमान में पर्याप्त मात्रा में उर्वरक की आपूर्ति हो रही है एवं आसानी से खाद उपलब्ध है। भविष्य में किसी भी प्रकार की समस्या से बचने के लिए किसान भाई बीज एवं उर्वरक का अग्रिम उठाव अवश्य करें। शून्य प्रतिशत ब्याज दर होने के कारण किसानों को अग्रिम उठाव करने पर कोई अतिरिक्त राशि देना नही होगा। वर्तमान में धान के विभिन्न किस्म जैसे- स्वर्णा, एमटीयू-1001, एमटीयू-1010 के साथ-साथ इनके विकल्प एमटीयू -1318, एमटीयू -1156, एमटीयू -1153, विक्रम - टीसीआर जैसे अधिक उपंज देने वाले बीज सहकारी समितियों में उपलब्ध है। विगत वर्ष में भी जिले के कृषकों द्वारा इन नवीन किस्मों का उपायोग कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया गया है। इसी प्रकार स्फूर खाद के लिए कृषकों द्वारा डीएपी के स्थान पर सुपर फास्फेट, 20ः20ः0ः13, 28ः28ः0 का उपयोग किया जा कर अधिक उत्पादन प्राप्त किया गया है क्योकि इन उर्वरकों में नत्रजन एवं स्फूर के साथ-साथ सल्फर की पर्याप्त मात्रा होती है, जो हमारी भूमि को उर्वरा बनाती है। फसलों की बुआई प्रभावित ना हो इसके लिये फसलवार उर्वरक अनुशंसा के आधार पर फसलों में संतुलित उर्वरक उपयोग किया जाना चाहिए। शासन के दिशानिर्देशानुसार उर्वरक विक्रय हेतु पी.ओ.एस. मशीन की अनिवार्यता एवं निर्धारित दर पर उर्वरकों का विक्रय सुनिश्चित करने हेतु संबंधितो को निर्देशित किया गया है। समस्त कृषकों से अपील है कि नत्रजन एवं स्फूर उर्वरकों के साथ-साथ म्यूरेट ऑफ पोटाश का उपयोग अवश्य करे जिससे फसलों में कीड़े बिमारी की समस्या अपेक्षाकृत कम आती है। साथ ही जिंक ईडीटीए एवं बोरॉन का छिडकाव निर्धारित अनुपांत में अवश्य करें जिससे फसलों की गुणवत्ता एवं उपज में वृद्धि से कृषकगण अधिक से अधिक लाभान्वित हो सकते है।